Friday, August 23, 2024
तुम्हें मैं जानता न था,
ना था एहसास तुम्हारे दिल का,
पर कुछ बूँदें प्रेम की,
चुपचाप बरसती रहीं,
बिन आहट, बिन शोर।
तुम्हारी आँखों में शायद
एक धुंधली सी रौशनी थी,
जो मेरे तक पहुँची नहीं,
और मैं अंजान रहा,
तुम्हारे अनकहे अरमानों से।
तुम्हारे दिल में थी एक कहानी,
जिसे लफ्ज़ों ने कभी छुआ नहीं,
पर तुम मुस्कानों में छुपाकर
सब कुछ कहती रहीं,
और मैं समझ न सका।
अब जब वो पल बीत गए,
और वो रास्ते बदल गए,
सोचता हूँ, अगर मैं सुन पाता,
तुम्हारी ख़ामोश धड़कनों को,
तो शायद ये प्रेम
कुछ और ही रंग दिखाता।
अब बस यादों में है वो एहसास,
जो कभी था तुम्हारे पास,
पर फिर भी, दिल कहता है,
शायद वो प्रेम अब भी कहीं
धीरे-धीरे धड़क रहा हो।
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