मेरे दिल का अनदेरा मिटा दो ना
मुझे गले से लगा लो ना
जो खवाब देखे वोह बिखर गए
मुझे एक बार फिर जुठ्ला दो ना
मेरे दिल का अनदेरा मिटा दो ना
मेरे दिल की तड़प मिटा दो ना
वोह तुम्हारे सपने, तुह्हरे बातें
कहाँ से लाओं वोह सोगातैं
नींद मैं था मुझे जागो ना
मरे दिल का अनदेरा मिटा दो ना
फिर वाही दिल की तड़प और बेचनी
मेरे दिल को कुछ समजा दो ना
तुम ही इस का इलाज सुजा दो ना
मेरे दिल का अनदेरा मिटा दो ना
अब तो तुम्हें बात करना बी गवारा नहीं
चलो यूं ही सही, मेरा गम अब तुम्हारा नहीं
बस सिरिफ इक बार मुझे गले से लगा लो ना
मेरे दिल का अनदेरा मिटा दो ना
Friday, March 26, 2010
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what to say on this sir.. every stanza was so good n heart touching.. keep writing...
ReplyDeleteThanks for reading my blogs Harish and thanks for encouragement.
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